उपांग ललिता पंचमी व्रत कथा PDF | Upang Lalita Panchami Vrat Katha Hindi PDF Download
Lalita Panchami
शक्तिस्वरूपा देवी ललिता को समर्पित उपांग ललिता पंचमी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पांचवे नवरात्र के दिन मनाई जाती है. इस शुभ दिन भक्तगण व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं, यह दिन उपांग ललिता व्रत के नाम से जाना जाता है. देवी ललिता जी का ध्यान रुप बहुत ही उज्जवल व प्रकाश मान है. माता की पूजा श्रद्धा एवं सच्चे मन से की जाती है.
आदि शक्ति माँ ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं, उपांग ललिता का व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है. इस दिन उपांग ललिता की पूजा भक्ति-भाव सहित करने से देवी मां की कृपा व आशिर्वाद प्राप्त होता है. जीवन में सदैव सुख व समृद्धि बनी रहती है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी जगत जननी ललिता माता के दर्शन से समस्त कष्टों का निवारण स्वत: ही हो जाता है.
उपांग ललिता
उपांग ललिता शक्ति का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है. जिसके अनुसार पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब दक्ष पुत्री सती ने अपने प्राण उत्सर्ग कर देती हैं. सती के वियोग में भगवान शिव उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए चारों दिशाओं में घूमने लगते हैं. इस महाविपत्ति को यह देख भगवान विष्णु चक्र द्वारा सती की देह को विभाजित कर देते हैं. तत्पश्चात भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा.
ललिता माँ का प्रादुर्भाव तब होता है जब ब्रह्मा जी द्वारा छोडे गये चक्र से पाताल समाप्त होने लगा. इस स्थिति से विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगती है. तब सभी ऋषि माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं. उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी चक्र को थाम लेती हैं. सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है.
उपांग ललिता पंचमी
उपांग ललिता व्रत समस्त सुखों को प्रदान करने वाला होता है. देवी की पूजा भक्त को शक्ति प्रदान करती है. उपांग ललिता के अवसर पर मां की पूजा-आराधना का कुछ विशेष ही महत्व होता है. पौराणिक मान्यतानुसार इस दिन देवी ललिता राक्षस को मारने के लिए अवतरण लेती हैं. इस दिन भक्तगण षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते है. इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी शास्त्रानुसार पूजा की जाती है.
उपांग ललिता पूजन
दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है. इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ किया जाता है.
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FAQs
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